#खाद्य तेल पर केंद्र की सीमा
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वदेशी जीएम सरसों का उद्देश्य खाद्य तेल को सस्ता बनाना
भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि सरसों (Mustard ) जैसी आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें आम जन के लिये गुणवत्तापूर्ण खाद्य तेल को सस्ता कर देंगी तथा विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करके राष्ट्रीय हित में योगदान देंगी।जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति ने सरसों के आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण, धारा मस्टर्ड हाइब्रिड -11 को जारी किये जाने हेतु पर्यावरणीय मंज़ूरी दे दी है।यदि इसे व्यावसायिक खेती के लिये मंज़ूरी मिल जाती है तो यह भारतीय किसानों के लिये उपलब्ध पहली आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य फसल होगी। भारत की खाद्य तेल मांग - भारत की कुल खाद्य तेल मांग 24.6 मिलियन टन (2020-21) थी और घरेलू उपलब्धता 11.1 मिलियन टन (2020-21) थी। - वर्ष 2020-21 में कुल खाद्य तेल मांग क�� 13.45 मिलियन टन (54%) लगभग ₹1,15,000 करोड़ के आयात के माध्यम से पूरा किया गया, जिसमें पाम ऑयल (57%), सोयाबीन तेल (22%), सूरजमुखी तेल (15%) और कुछ मात्रा में कैनोला गुणवत्ता वाला सरसों का तेल शामिल थे। - वर्ष 2022-23 में कुल खाद्य तेल मांग का 155.33 लाख टन (55.76%) आयात के माध्यम से पूरा किया गया। - भारत पाम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक है, ध्यातव्य है की भारत की वनस्पति तेल की खपत में 40% हिस्सेदारी पाम ऑयल की है। - भारत अपनी वार्षिक 8.3 मीट्रिक टन पाम ऑयल ज़रूरत का आधा हिस्सा इंडोनेशिया से पूरा करता है। - वर्ष 2021 में भारत ने घरेलू पाम तेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-ऑयल पाम (National Mission on Edible Oil-Oil Palm) का अनावरण किया। आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM ) फसलें - GM फसलों के जीन कृत्रिम रूप से संशोधित किये जाते हैं, आमतौर इसमें किसी अन्य फसल से आनुवंशिक गुणों जैसे- उपज में वृद्धि, खरपतवार के प्रति सहिष्णुता, रोग या सूखे से प्रतिरोध, या बेहतर पोषण मूल्य का समामेलन किया जा सके। - इससे पहले, भारत ने केवल एक GM फसल, BT कपास की व्यावसायिक खेती को मंज़ूरी दी थी, लेकिन GEAC ने व्यावसायिक उपयोग के लिये GM सरसों की सिफारिश की है। GM सरसों - धारा मस्टर्ड हाइब्रिड-11 (DMH-11) एक स्वदेशी रूप से विकसित ट्रांसजेनिक सरसों है। यह हर्बिसाइड टॉलरेंट (HT) सरसों का आनुवंशिक रूप से संशोधित संस्करण है। - DMH-11 भारतीय सरसों की किस्म 'वरुणा' और पूर्वी यूरोपीय 'अर्ली हीरा-2' सरसों के बीच संकरण का परिणाम है। - इसमें दो एलियन जीन ('बार्नेज' और 'बारस्टार') शामिल होते हैं जो बैसिलस एमाइलोलिफेशियन्स (Bacillus amyloliquefaciens) नामक मृदा जीवाणु से पृथक किये जाते हैं जो उच्च उपज वाली वाणिज्यिक सरसों की संकर प्रजाति विकसित करने में सहायक है। - DMH-11 ने राष्ट्रीय सीमा की तुलना में लगभग 28% अधिक और क्षेत्रीय सीमा की तुलना में 37% अधिक उपज प्रदर्शित है और इसके उपयोग का दावा तथा अनुमोदन GEAC द्वारा अनुमोदित किया गया है। - "बार जीन" संकर बीज की आनुवंशिक शुद्धता को बनाए रखता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति - जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) के तहत कार्य करती है। - यह पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अनुसंधान एवं औद्योगिक उत्पादन में खतरनाक सूक्ष्मजीवों तथा पुनः संयोजकों के बड़े पैमाने पर उपयोग से जुड़ी गतिविधियों के मूल्यांकन हेतु उत्तरदायी है। - समिति प्रायोगिक क्षेत्र परीक्षणों सहित पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संशोधित (GE) जीवों और उत्पादों को जारी करने से संबंधित प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिये भी उत्तरदायी है। - GEAC की अध्यक्षता MoEF&CC के विशेष सचिव/अपर सचिव द्वारा की जाती है और सह-अध्यक्षता जैवप्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के एक प्रतिनिधि द्वारा की जाती है। - वर्तमान में, इसके 24 सदस्य हैं और ऊपर बताए गए क्षेत्रों में अनुप्रयोगों की समीक्षा के लिये प्रत्येक माह बैठक होती है। Read the full article
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खाद्य तेल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को सीमा का सुझाव दिया: 2 महीने से अधिक स्टॉक नहीं करना
खाद्य तेल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र ने राज्यों को सीमा का सुझाव दिया: 2 महीने से अधिक स्टॉक नहीं करना
खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के साथ, केंद्र ने खाद्य तेलों और तिलहन की स्टॉक सीमा के संबंध में अपने आदेश को लागू करने की समीक्षा के लिए 25 अक्टूबर को राज्यों की एक बैठक बुलाई है। सरकार ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि हितधारक अपनी क्षमता के दो महीने से अधिक स्टॉक नहीं रखते हैं। एक पत्र में, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने कहा, “खाद्य तेल की मांग और खपत…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज&039;#खाद्य तेल की कीमतें#खाद्य तेल की कीमतों में तेजी की खबर#खाद्य तेल की कीमतों में बढ़ोतरी#खाद्य तेल पर केंद्र की सीमा#खाना पकाने के तेल की कीमतें#भारत समाचार#शीर्ष भारतीय समाचार
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हाल ही में निर्यात में वृद्धि के बाद टूटे चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध: केंद्र
नई दिल्ली, 22 सितम्बर (SuryyasKiran)। भारत सरकार ने गुरुवार को कहा कि पिछले कुछ महीनों में टूटे चावल के निर्यात में वृद्धि के बाद इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। केंद्र ने कहा, कुक्कुट फीड में इस्तेमाल होने वाले टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हाल के महीनों में अनाज के निर्यात में वृद्धि के बाद लगाया गया, जिसने घरेलू बाजार पर दबाव डाला। एसडीजी की उपलब्धि को ध्यान में रखते हुए देश की खाद्य सुरक्षा चिंताओं के लिए शुरू किया गया है। केंद्र ने कहा कि स��त विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि के लिए बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (एमटीएस) का समर्थन करने के लिए गैर-बाध्यकारी मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार, यह सुनिश्चित करना होगा कि खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए शुरू किए गए किसी भी आपातकालीन उपाय से व्यापार कम हो जाएगा। जहां तक संभव हो, विकृतियां अस्थायी, लक्षित और पारदर्शी हों और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार अधिसूचित और कार्यान्वित की जाएं।एक बयान में कहा कि, विश्व खाद्य कार्यक्रम के नियमों के अनुसार, विश्व खाद्य कार्यक्रम पर मंत्रिस्तरीय निर्णय, निर्यात निषेध या प्रतिबंधों से खाद्य खरीद छूट, सदस्यों को विश्व खाद्य कार्यक्रम, केंद्र द्वारा गैर-व्यावसायिक मानवीय उद्देश्यों के लिए खरीदे गए खाद्य पदार्थों पर निर्यात प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। भारत ने सितंबर में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया और चावल को छोड़कर गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया।सरकार की ओर से जारी नए निदेशरें के मुताबिक टूटे हुए चावल के खेप को निर्यात की अनुमति अभी उन्हें होगी जिनकी लोडिंग बैन लगाने का निर्णय आने से पहले जहाज पर हो गई थी या जहां शिपिंग बिल दायर कर दिया गया है और जहाज पहले ही लोडिंग के लिए पहुंचकर भारत में लंगर डाल चुके हैं। एक नई अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जिन मामलों में बंदरगाहों और उनके रोटेशन नंबर आवंटित कर दिए गए हैं और जहां टूटे हुए चावल की खेप सीमा शुल्क विभाग को सौंप दी गई है और उनकी प्रणाली में पंजीकृत हो चुकी है उन्हें ही निर्यात की अनुमति मिलेगी। इससे पहले टूटे चावल के निर्यात के लिए 15 सितंबर तक की समयसीमा तय की गई थी। बता दें कि बीते नौ सितंबर को भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। टूटे चावल के निर्यात नीति को नि: शुल्क से निषिद्ध के रूप में संशोधित किया था।चावल पर प्रतिबंध लगाने के भारत के कदम का बचाव करते हुए, केंद्र ने कहा कि भू-राजनीतिक परि²श्य के कारण टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने पशु चारा से संबंधित वस्तुओं सहित वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित किया है। पिछले 4 वर्षों में टूटे चावल के निर्यात में 43 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, अप्रैल-अगस्त 2022 से 21.31 एलएमटी निर्यात किया गया है, जबकि 2019 में इसी अवधि में 0.51 एलएमटी का निर्यात किया गया था, पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में महत्वपूर्ण उछाल आया है। वर्ष में 2021, निर्यात की गई मात्रा 15.8 एलएमटी (अप्रैल-अगस्त, 2021) थी। चालू वर्ष में टूटे चावल की कीमतों में काफी वृद्धि हुई। इसमें कहा गया है कि भारत के चावल निर्यात नियमों में हालिया बदलावों ने निर्यात की उपलब्धता को कम किए बिना घरेलू कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद की है। इथेनॉल-मिश्रण कार्यक्रम का समर्थन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए परिवर्तन किए गए हैं जो महंगे तेल आयात को बचाता है और पशु आहार की लागत को कम करके पशुपालन और मुर्गी पालन क्षेत्रों की मदद करता है, जिसका दूध, मांस और अंडे की कीमत पर असर पड़ता है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि कम उबले चावल से संबंधित नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है ताकि किसानों को अच्छा लाभकारी मूल्य मिलता रहे। इसी तरह, बासमती चावल (एचएस कोड 10063020) में नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है क्योंकि बासमती चावल प्रीमियम चावल है जो कि विभिन्न देशों में भारतीय प्रवासी द्वारा प्रमुख रूप से खाया जाता है और इसकी निर्यात मात्रा अन्य चावल की तुलना में बहुत कम है। Read the full article
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पश्चिम बंगाल में किसानों के लिए मददगार होंगे नए केन्द्रीय कृषि कानून : कृषि विशेषज्ञ Divya Sandesh
#Divyasandesh
पश्चिम बंगाल में किसानों के लिए मददगार होंगे नए केन्द्रीय कृषि कानून : कृषि विशेषज्ञ
कोलकाता। केंद्रीय कृषि कानून को लेकर देशभर में मचे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल के कृषि विशेषज्ञ विद्युत कुमार बसु ने कहा है कि केंद्रीय कृषि कानून बंगाल के किसानों के लिए काफी मददगार साबित होने वाले हैं। रविवार को “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत के दौरान कृषि विशेषज्ञ बसु ने केंद्रीय कृषि कानून के कई सकारात्मक पहलुओं का जिक्र किया है। कृषि विशेषज्ञ बसु ग्रामीण और कृषि अर्थशास्त्र के प्रशिक्षक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के पूर्व अधिकारी हैं। इस विशेष साक्षात्कार के दौरान कई प्रमुख मुख्य बिंदुओं पर बेवाक राय रखी। साक्षात्कार के प्रमुख सारांश।
प्रश्न: सामान्यतः कृषि एक आयामी विषय प्रतीत होता है लेकिन कृषि विभिन्न विषयों का एक संयोजन है। इस पर आप क्या कहते हैं? उत्तर: कृषि केंद्रित अर्थव्यवस्था से मेरा तात्पर्य केवल कृषि उत्पादन, संरक्षण और विपणन से नहीं है, बल्कि कृषि से किसान की आय और उनकी वित्तीय स्थिति से भी है। किसान को अपनी उपज बचाने, या सही कीमत पाने का मौका नहीं मिलता। कृषि की लागत भी काफी अधिक होती है। इसकी स्टोरेज या मार्केटिंग सिस्टम भी सही नहीं है। किसान को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता। साथ ही कृषि प्रशिक्षण का भी अभाव है। समय पर ऋण की उचित राशि, प्रमाणित बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई का पानी, कृषि यंत्र, कृषि बीमा, कृषि भूमि कानून, कृषि मजदूरों की भूमि सीमा या काम करने की स्थिति, कृषि अनुसंधान के ला�� आदि। कृषि अर्थशास्त्र मूल रूप से इन मुद्दों का एक संयोजन है।
प्रश्न: क्या इस राज्य की कृषि विकास दर संबंधित क्षेत्रों में औसत राष्ट्रीय विकास दर से बेहतर है? उत्तर: धान, जूट और सब्जियों के उत्पादन में पश्चिम बंगाल प्रथम है। इसके अलावा फल और चाय उत्पादन में दूसरे और फूल उत्पादन में बंगाल तीसरे स्थान पर है। दूसरे राज्यों से सिर्फ दालें, खाद्य तेल और प्याज का आयात करना पड़ता है।
प्रश्न: कृषि विकास के लिए अन्य बुनियादी ढांचे की स्थिति क्या है? उत्तर : बंगाल में कृषि का बुनियादी ढांचा काफी कमजोर है। आलू कोल्ड स्टोरेज या चावल का गोदाम पर्याप्त नहीं है। इसलिए यहां की सब्जियां और फूल दूसरे राज्यों के जरिए विदेशों में निर्यात किए जाते हैं। विपणन केंद्र की भारी कमी है। किसान मंडियां ठीक से काम नहीं करतीं।
प्रश्न: इस राज्य में कृषि के लिए संस्थागत समर्थन की क्या भूमिका है? उत्तर : फार्मा निर्माता संगठन भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, उर्वरकों की आपूर्ति, कृषि मशीनरी और बीज, और यहां तक कि विस्तार के लिए मददगार हो सकता है। नाबार्ड और कई स्वयंसेवी संगठनों की प्रारंभिक सफलता के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में एक बड़े पैमाने पर केंद्रीय परियोजना की घोषणा की। पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने तदनुसार कार्रवाई की है।
प्रशिक्षण और अनुसंधान: राज्य में तीन कृषि विश्वविद्यालय, कई कृषि विज्ञान केंद्र और एक केंद्रीय अनुसंधान संस्थान हैं। उर्वरक और बीज आपूर्ति अपर्याप्त है। बीज के निर्माण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। रासायनिक खाद बाहर से आती है। कीमत ज्यादा है। वाणिज्यिक बैंक, ग्रामीण बैंक और सहकारी समितियां कृषि ऋण के मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं। लेकिन सही समय पर काम नहीं होता। सभी किसानों को कृषि बीमा के तहत लाया जाना चाहिए।
प्रश्न: अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल में कृषि अर्थव्यवस्था की स्थिति क्या है? उत्तर: भारत में कृषि के क्षेत्र में वास्तव में एक क्रांति हुई है। हर चीज का उत्पादन बहुत बढ़ गया है। उत्पादन के मामले में पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल बेहतर है। लेकिन मुनाफे को देखते हुए, केरल, गोवा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य वाणिज्य खेती में काफी सफल हैं।
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प्रश्न: पश्चिम बंगाल में किसानों की दुर्दशा क्यों है, भले ही उनका उत्पादन में उच्च स्थान है? उत्तर : सबसे पहले, पारंपरिक फसलें जैसे धान का उत्पादन सबसे अधिक होता है और कीमत कम मिलती है। सब्जियां, फूल, फल लाभदायक हैं लेकिन बेहतर संरक्षण और विपणन प्रणाली की जरूरत है। जहां ये सुविधा��ं हैं, वहां किसान अच्छी आय कर रहे हैं।
मुख्य बाधा भूमि की मात्रा, प्रति परिवार 0.6 हेक्टेयर है जबकि भारत में औसत 1.06 हेक्टेयर है। पश्चिम बंगाल के 98 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, इतनी छोटी भूमि पर खेती की लागत भी नहीं आती है।
प्रश्न: आय बढ़ाने का उपाय क्या है? उत्तर : अधिक कीमत पर बिकने वाले अनाज की खेती शुरू करनी होगी। उत्तर बंगाल में तटीय इलाकों में काली मिर्च, सुपारी, बादाम बोया जा सकता है। धान की जगह केले की खेती हो रही है। जंगल में चंदन के पेड़ लगाने पर विचार किया जा रहा है। संरक्षण और विपणन में सुधार। जापान के कावासाकी का सिंगुर में एक मॉडल की टेस्टिंग की जा रही है।
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प्रश्नः वामपंथी और तृणमूल नए कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। कोई वजह? उत्तर: पश्चिम बंगाल में बांकुड़ा, बर्दवान और हावड़ा के कुछ स्थानों पर ठेके पर खेती हो रही है। चिप्स के लिए आलू का उपयुक्त उत्पादन हो रहा है। राज्य में कहीं भी किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन नहीं किया है। यदि समझौते को संयुक्त रूप से संस्थागत रूप दिया जाता है, तो आशंकाएं निराधार हैं। जैसे एफपीओ या सहकारी समितियों के माध्यम से किसान और निजी कंपनियों के बीच समझौते हो तो बेहतर तालमेल होगा। केंद्र का नया कृषि कानून किसानों के लिए हर तरह से मददगार है। अगर मौसम की वजह से फसलों को नुकसान भी पहुंचता है तो इस बात का जिक्र भी समझौते के पत्र में पहले ही किया जा सकता है ताकि किसानों को बहुत अधिक नुकसान नहीं उठाना पड़े। यह महसूस करते हुए कि नया कानून पश्चिम बंगाल में किसानों की मदद करेगा, कानून को आंशिक रूप से बदल दिया गया है।
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एक अक्टूबर से ये नौ बदलाव होने वाले हैं। जानिए किस परिवर्तन से आपकाे कितना और कैसे फायदा हाेगा...
लाइसेंस-आरसी रखने का झंझट नहीं : वाहन चलाते समय अब लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इनकी सा���फ्ट काॅपी भी मान्य हाेगी। माेटर वाहन अधिनियम 1989 में संशाेधन के तहत गाड़ी से जुड़े दस्तावेजाें का रखरखाव आईटी पाेर्टल के जरिए होगा।
गाड़ी चलाते हुए मोबाइल इस्तेमाल कर सकेंगे: गाड़ी चलाते समय हाथ में मोबाइल फोन का इस्तेमाल रूट नेविगेशन के लिए कर सकेंगे। हालांकि ड्राइवर का ध्यान भंग नहीं होना चाहिए। हालांकि, मोबाइल से बात करने पर 5 हजार रुपए तक जुर्माना लग सकता है।
खुली मिठाई के लिए मियाद लिखनी हाेगी: बाजार में बिकने वाली खुली मिठाई के लिए विक्रेता काे लिखना होगा कि किस तारीख तक मिठाई इस्तेमाल की जा सकेगी। खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने यह अनिवार्य कर दिया है।
स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में बदलाव: बीमा नियामक इरडा के नए नियमों के अनुसार पॉलिसीधारक ने सतत 8 साल प्रीमियम चुकाई है तो कंपनियां क्लेम रिजेक्ट नहीं कर पाएंगी। अधिक बीमारियां भी कवर हाेंगी। हालांकि इससे प्रीमियम बढ़ सकती है। ग्राहक कंपनी बदलते हैं तो पुराना वेटिंग पीरियड जुड़ेगा।
पैसा विदेश भेजने पर 5% टैक्स: विदेश में बच्चाें या रिश्तेदाराें काे पैसे भेजते हैं या प्राॅपर्टी खरीदते हैं ताे रकम पर 5% टीसीएस देना होगा। फाइनेंस एक्ट 2020 के मुताबिक, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत 2.5 लाख डॉलर सालाना तक विदेश भेज सकते हैं। इसे टीसीएस के दायरे में लाया गया है।
सरसाें तेल में मिलावट नहीं: अब सरसाें का शुद्ध तेल मिलेगा। एफएसएसएआई ने इसमेें अन्य तेल मिलाने पर राेक लगा दी है। अब तक चावल की भूसी यानी राइस ब्रान, तेल या सस्ते तेल मिलाए जाते थे।
रंगीन टीवी खरीदना महंगा: केंद्र सरकार ने रंगीन टीवी की असेंबलिंग में इस्तेमाल हाेने वाले ओपन सेल कंपाेनेंट के आयात पर 5% सीमा शुल्क बहाल कर दिया है। इस पर सरकार ने एक साल की छूट दी थी।
गूगल मीट पर फ्री मीटिंग 60 मिनट ही: ऑनलाइन मीटिंग के लिए चर्चित माध्यम गूगल मीट का इस्तेमाल सीमित होगा। फ्री यूजर अधिकतम 60 मिनट मीटिंग कर पाएंगे। पेड यूजर्स इससे लंबी मीटिंग कर पाएंगे।
उज्ज्वला गैस कनेक्शन फ्री नहीं: मुफ्त रसाेई गैस कनेक्शन लेने की प्रक्रिया 30 सितंबर काे खत्म हाे रही है। काेराेना के चलते इसकी मियाद बढ़ाई गई थी।
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See date on open sweets, more diseases will be added to insurance; Know how much and how you will benefit
from Dainik Bhaskar /national/news/see-date-on-open-sweets-more-diseases-will-be-added-to-insurance-know-how-much-and-how-you-will-benefit-127766606.html via IFTTT
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किसान विरोधी बिल पर मायावती ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
नई दिल्ली : सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी `ने लोकसभा में भारी विरोध के बावजूद कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन बिलों को लोकसभा में पेश कराने के बाद पारित भी करा लिया। तीनों बिलों में लोकसभा में जबरदस्त संग्राम मचा। विपक्ष के साथ ही एनडीए की सहयोगी अकाली दल ने भी इस पर आपत्ति जताई। हालात इतने बिगड़े कि मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा ही दे दिया।
वहीं, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी किसानों से जुड़े बिल प��स होने पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि संसद में किसानों से जुड़े दो बिल, उनकी सभी शंकाओं को दूर किये बिना ही, कल पास कर दिये गये हैं। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। पूरे देश का किसान क्या चाहता है? इस ओर केन्द्र सरकार जरूर ध्यान दे तो यह बेहतर होगा।
ये हैं वो तीन बिल…….
कृषक उपज व्यापार व वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल, २०२०
किसान अपनी उपज के दाम खुद ही तय करने के लिए स्वतंत्र
किसान की फसल सरकारी मंडियों में बेचने की बाध्यता खत्म
किसान अपनी उपज देश में कहीं भी, किसी को भी बेच पाएंगे
लेन-देन की लागत घटाने को मंडी से बाहर टैक्स नहीं वसूला जाएगा
खरीदार फसल खरीदते ही किसान को देगा देय राशि सहित डिलीवरी रसीद
खरीदार को तीन दिन के अंदर करना होगा किसान के बकाये का पूरा भुगतान
व्यापारिक प्लेटफार्म यानी फसल की ऑनलाइन खरीद फरोख्त भी संभव
एक देश और एक बाजार सिस्टम की तरफ बढने के होंगे उपाय
अन्य वैकल्पिक व्यापार चैनलों के माध्यम से भी फसल बेच पाएंगे किसान
व्यापारिक विवाद का 30 दिन के अंदर किया जाएगा निपटारा
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार बिल-2020 के प्रावधान
फसल बोने से पहले ही किसान तय कीमत पर बेचने का कर पाएगा अनुबंध
कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार किए जाने का किया गया है प्रावधान
कृषि फर्मों, प्रोसेसर्स, एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं व निर्यातकों से किसानों को जोड़ेगा
उच्च प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, पूंजी निवेश के लिए भी निजी क्षेत्र से अनुबंध का मौका
कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी से रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ाएगा
अनुबंधित किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करेगा
फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा व फसल बीमा की सुविधा भी दिलाएगा
अनुबंधित किसान को नियमित और समय पर भुगतान होने का करेगा संरक्षण
सही लॉजिस्टिक सिस्टम और वैश्विक विपणन मानकों पर फसल तैयार करने में मदद
आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) बिल-2020 के प्रावधान
अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू आवश्यक वस्तुओं की सूची से होंगे बाहर
कृषि या एग्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निजी निवेशकों को व्यापारिक परिचालन में नियामक हस्तक्षेप से मिलेगा छुटकारा
किसानों को अपने उत्पाद, उत्पाद जमा सीमा, आवाजाही, वितरण और आपूर्ति की छूट मिलेगी
किसान क्षेत्रीय मंडियों के बजाय दूसरे प्रदेशों में ले जाकर फसल बेचेंगे तो मंडी कर नहीं देने पर बढ़ेगा मुनाफा
निजी कंपनियों को सीधे किसानों से खरीद की दी जाएगी छूट, कृषि उत्पादों की जमा सीमा पर नहीं होगी रोक
कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की राह खुलने से आधुनिक खेती का आएगा दौर
https://kisansatta.com/mayawati-targeted-the-central-government-on-the-anti-farmer-bill/ #MayawatiTargetedTheCentralGovernmentOnTheAntiFarmerBill Mayawati targeted the central government on the anti-farmer bill State, Top, Trending #State, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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September Weekly Current Affairs in Hindi for IAS RAS PRE+ MAINS- 2018-19 BY WISDOM IAS
जन-धन योजना ओपन-एंडेड योजना घोषित
प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन। (समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।)
चर्चा में क्यों?
मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) को उच्च बीमा कवर के साथ ओवरड्राफ्ट (ओडी) सुविधा को दोगुना करने तथा इसे ओपन-एंडेड योजना में बदलने की मंज़ूरी दे दी है।
प्रमुख बिंदु
केंद्र ने “प्रत्येक घर” से “सभी वयस्क व्यक्तियों” को इस योजना से जोड़ने पर ज़ोर दिया है।
उल्लेखनीय है कि पीएमजेडीवाई अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रही है और केंद्र ने इसे ओपन एंडेड घोषित करने का फैसला किया है तथा ओडी की मौजूदा सीमा को ₹ 5,000 से बढ़ाकर ₹ 10,000 तक किया गया है।
ओपन एंडेड योजना
ऐसी म्यूचुअल फंड योजनाएँ जो हमेशा निवेश के लिये उपलब्ध होती हैं तथा इनमें किये गए निवेश को भुनाने के लिये कोई तय अवधि नहीं होती ओपन एंडेड योजनाएँ कहलाती हैं।
वहीं, क्लोज एंडेड म्यूचुअल फंड योजनाएँ निवेश के लिये एक सीमित अवधि तक ही खुली रहती हैं और उसके बाद इनमें सीधे निवेश नहीं किया जा सकता।
यह कदम पीएमजेडीवाई को जारी रखने के लिये उठाया गया है, जिसे वित्तीय समावेशन पर राष्ट्रीय मिशन के नाम से भी जाना जाता है।
इसके अलावा, ₹ 2,000 तक के किसी भी ओवरड्राफ्ट के लिये कोई शर्त नहीं की होगी साथ ही ओडी सुविधा का लाभ उठाने के लिये आयु सीमा 18-60 साल को बढ़ाकर 18-65 वर्ष तक की गई है।
नए रुपे कार्डधारकों के लिये दुर्घटना बीमा कवर को ₹ 2 लाख तक बढ़ा दिया गया है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के बारे में
पीएमजेडीवाई का उद्देश्य वंचित वर्गो जैसे- कमजोर वर्गों और कम आय वर्गो को विभिन्न वित्तीय सेवाएँ यथा- मूल बचत बैंक खाते की उपलब्धता, आवश्यकता आधारित ऋण की उपलब्धता, विप्रेषण सुविधा, बीमा तथा पेंशन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है।
किफ़ायती लागत पर व्यापक प्रसार केवल प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग से ही संभव है।
पीएमजेडीवाई वित्तीय समावेशन संबंधी राष्ट्रीय मिशन है, जिस��ें देश के सभी परिवारों के व्यापक वित्तीय समावेशन के लिये एकीकृत दृष्टिकोण शामिल है।
इस योजना में प्रत्येक परिवार के लिये कम-से-कम एक मूल बैंकिंग खाता, वित्तीय साक्षारता, ऋण की उपलब्धता, बीमा तथा पेंशन सुविधा सहित सभी बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराने की अभिकल्पना की गई है।
इसके अलावा, लाभार्थियों को रूपे डेबिट कार्ड दिया जाएगा जिसमें एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर शामिल है।
इस योजना में सभी सरकारी (केंद्र/राज्य/स्थानीय निकाय से प्राप्त होने वाले) लाभों को लाभार्थियों के खातों से जोड़ने तथा केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष लाभांतरण (डीबीटी) योजना को आगे बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
टेलिकॉम आपरेटरों के ज़रिये मोबाइल बैंकिंग तथा नकद आहरण केंद्र के रूप में उनके स्थापित केंद्रों का इस योजना के अंतर्गत वित्तीय समावेशन हेतु प्रयोग किये जाने की योजना है।
पीएमजेडीवाई के अंतर्गत ₹ 81.2 करोड़ रुपए की जमाराशि के साथ अब तक 32.41 करोड़ खाते खोले गए हैं।
पीएमजेडीवाई के अंतर्गत खाताधारकों में लगभग 53 प्रतिशत महिलाएँ हैं और उनमें भी अधिकांश ग्रामीण और अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित हैं।
स्रोत : द हिंदू
भारत-अफ्रीका संबंध: अफ्रीका में भारत की बढ़ती पैठ
प्रधानमंत्री की हाल ही की तीन अफ्रीकी देशों रवांडा, युगांडा और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा समझौतों और उपलब्धियों से भरी रही है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में संपन्न ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लिया, और अफ्रीका में भारत की वचनबद्धता के 10 मूलभूत सिद्धांतों को भी स्पष्ट किया। नई रणनीति भारत-अफ्रीका के ऐतिहासिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है। इसका मुख्य केन्द्र पूर्वी अफ्रीका है, जिसे दूसरे शब्दों में हम हिन्द-प्रशांत महासागर की पश्चिमी सीमा कह सकते हैं। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ यह भारतीय सामान और सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने एवं भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति हेतु नई संधियों की दृष्टि से अनुकूल है।
इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाकर भारत अफ्रीका के विकास में चीन से अलग अपना स्थान बना सकता है। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के बहुत से देश चीन के भार से दबे हुए हैं। ऐसे में भारत ने अफ्रीका के विकास और प्रसार के लिए निजी क्षेत्र की साझेदारी को सर्वोपरि रखा है। भारत को अंग्रेजी भाषा के कारण अफ्रीकी देशों में प्रशिक्षण और शोध करने का लाभ भी मिलता है। भारत ने भारत-अफ्रीका फोरम की एक श्रृंखला भी शुरू की है, और वह जापान के साथ मिलकर एशिया-अफ्रीका विकास गलियारे पर भी काम कर रहा है। विडंबना ��ह है कि भारत से आने वाली विकास निधि चीन की तरह के ऋण पैटर्न पर ही अफ्रीका पहुँच रही है। इसकी संवितरण की दर चीन की तुलना में काफी कम है।
इस यात्रा में प्रधानमंत्री का पहला पड़ाव रवांडा रहा। यह अफ्रीकी यूनियन की अध्यक्षता करने वाला तथा अफ्रीका की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में तीसरे नंबर का देश है। इस देश पर पश्चिमी देशों का काफी प्रभाव है। रवांडा ने वन बेल्ट वन रोड समझौते में शामिल होने के साथ ही चीन की 15 बड़ी परियोजनाओं पर काम की शुरूआत कर दी है। यह अफ्रीका में भारत के प्रवेश की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण देश है, और यही कारण है कि भारत ने इसके साथ कई रणनीतिक समझौते किए हैं। प्रधानमंत्री ने रवांडा में उच्चायोग की स्थापना की भी घोषणा की है।
प्रधानमंत्री ने अपने दूसरे पड़ाव युगांडा को भी अनेक योजनाओं में सहयोग करने का प्रस्ताव दिया है। यह देश छः पूर्वी अफ्रीकी देशों के समूहों की अध्यक्षता करता है, और भारत के व्यापार को बढ़ाने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब भारत के लिए अफ्रीकी देश, प्राथमिक देशों में से एक हैं, और भारत उनके साथ ऐसे समझौते करना चाहता है, जो भविष्य को कुंठित करने की जगह उनका विकास करें।
भारत-अफ्रीका संबंधों में एक ओर तो स्पष्टता बढ़ती जा रही है, लेकिन दूसरी ओर इनके कार्यान्वयन की क्षमता पर संदेह उत्पन्न होता है। चीन की तुलना में भारत से अफ्रीका पहुँचने वाली विकास निधि के संवितरण की दर धीमी है। 2017- 18 में भारत से मात्र 4 प्रतिशत अनुदान की ही प्रतिबद्धता दिखाई गई। भारत ने निजी क्षेत्र की जिन कंपनियों को अफ्रीका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए सब्सिडी दी है, उन कंपनियों ने घोषणा के एक वर्ष बाद भी काम शुरू नहीं किया है। ये कुछ बड़े अवरोध हैं, जिन्हें दूर किए जाने की आवश्यकता है, तभी भारत अन्य देशों को भी विश्वास दिला सकेगा कि वह विश्वसनीय सेवा-प्रदाता है।
मिशन होप
हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में मिशन पर भेजने हेतु अपने पहले दो अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया है।
हज्ज़ा अल-मंसौरी (Hazza al-Mansouri) और सुल्तान अल-नेदी (Sultan al-Neyadi) को UAE के इस अंतरिक्ष मिशन के लिये चुना गया है।
तेल समृद्ध UAE ने पहले ही यह घोषणा कर दी थी कि वह 2021 तक मंगल ग्रह की कक्षा में मानव रहित यान भेजेगा और इस तरह का मिशन शुरू करने वाला पहला अरब देश बनेगा।
UAE द्वारा इस मिशन को ‘होप’ नाम दिया गया है।
UAE के इस कार्यक्रम की अनुमानित लागत 20 बिलियन दिरहम (5.4 बिलियन डॉलर) है।
अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम शुरू करने के साथ ही UAE अंतरिक्ष में यात्री भेजने वाले मध्य पूर्व के कुछ चुन��ंदा देशों में शामिल हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ��ससे पूर्व सऊदी अरब के सुल्तान बिन सलमान अल-सऊद अंतरिक्ष में गए थे।
‘स्पेस एलिवेटर’
जापान में वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्पेस एलिवेटर (लिफ्ट) विकसित किया है जिसका प्रयोग जल्दी ही किया जा सकता है।
शिज़ुका विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित परीक्षण उपकरण को दक्षिणी द्वीप तनेगाशिमा (Tanegashima) से जापान की अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा H-2B रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।
परीक्षण में 6 सेमी. लंबे, 3 सेमी. चौड़े और 3 सेमी. ऊँचाई वाले एक डिब्बे के भीतर एक छोटा एलिवेटर स्टैंड शामिल है।
यदि यह परीक्षण सफल रहा तो अंतरिक्ष में दो मिनी सैटेलाइट्स के बीच 10 मीटर लंबाई तक का केबल लगाया जा सकेगा जिससे दोनों सैटेलाइट एक-दूसरे से अच्छी तरह संपर्क में रहेंगे।
एलिवेटर बॉक्स की प्रत्येक गतिविधि पर नज़र रखने के लिये सैटेलाइट में कैमरे भी लगाए जाएंगे।
अंतरिक्ष में एलिवेटर का विचार पहली बार रूस के वैज्ञानिक कॉन्स्टानटिन तॉसिल्कोवास्की (Konstantin Tsiolkovsky) ने 1895 में दिया था उन्होंने यह विचार एफिल टावर को देखने के बाद दिया था। उसके एक सदी बाद ऑर्थर सी क्लार्क (Arthur C. Clarke) ने अपने उपन्यास में भी इस विचार को दोहराया था।
जापान की निर्माण कंपनी ओबायाशी वर्ष 2050 तक स्वयं द्वारा निर्मित एलिवेटर के माध्यम से इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है।
आरिफ़ रहमान अल्वी
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) पार्टी के डॉ. आरिफ़ रहमान अल्वी को पाकिस्तान के 13वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है।
डॉ. आरिफ़ ने पीएमएल-एन समर्थित उम्मीदवार मुत्ताहिद मजलिस-ए-अमाल (MMA) के प्रमुख फ़ज़लुर्रहमान और PPP के वरिष्ठ नेता ऐताज़ एहसान को हराकर यह चुनाव जीता है।
काज़ींड
संयुक्त सैन्याभ्यास ‘काज़ींड’ (KAZIND) कज़ाखस्तान के ओतर क्षेत्र में 10 से 23 सितंबर 2018 तक भारतीय और कज़ाखस्तान की सेना के बीच आयोजित किया जाएगा।
यह दोनों देशों के बीच तीसरा संयुक्त सैन्याभ्यास है ।
इस सैन्याभ्यास का दूसरा संस्करण पिछले वर्ष भारत में आयोजित किया गया था।
इस अभ्यास का उद्देश्य कज़ाखस्तान और भारतीय सेना के बीच सैन्य संबंधों और विनिमय कौशल तथा अनुभवों के लिये द्विपक्षीय सेना के निर्माण और प्रसार को बढ़ावा देना है।
जीएम सरसों के परीक्षण संबंधी निर्णय पर रोक
हाल ही में देश में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के संबंध में निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति ने मधुमक्खियों की आबादी पर जीएम सरसों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये परीक्षणों को अनुमति देने वाले निर्णयों पर रोक लगा दी है।
समिति के दो सदस्यों द्वारा दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप (CGMCP) के प्रोटोकॉल के बारे में चिंता व्यक्त करने के कारण इस निर्णय को रोका गया है।
GEAC को प्रस्तुत किये गए अपने आवेदन में CGMCP ने लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में मधुमक्खियों पर अध्ययन करने के लिये अपने प्रस्ताव को आगे बढ़ाया ताकि वह तिलहनी फसलों में परागण के साथ-साथ शहद के उत्पादन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कीटों पर अपने ट्रांसजेनिक सरसों की प्रजाति, DMH -11 के प्रभावों का अध्ययन कर सके।
जीएम फसल
जीएम फसल, उन फसलों को कहा जाता है जिनके जीन को वैज्ञानिक तरीके से रूपांतरित किया जाता है।
ऐसा इसलिये किया जाता है ताकि फसल की उत्पादकता में वृद्धि हो सके तथा फसल को कीट प्रतिरोधी अथवा सूखा रोधी बनाया जा सके।
DMH-11
Dhara Mustard Hybrid-11 या DMH-11 सरसों की एक किस्म है जिसका विकास दिल्ली विश्वविद्यालय के NAAS सदस्य, दीपक पेंटल द्वारा किया गया है।
इसे वरुण नामक पारंपरिक सरसों की प्रजाति को पूर्वी यूरोप की एक प्रजाति के साथ क्रॉस कराकर तैयार किया गया है।
यदि इस किस्म को अनुमोदित किया जाता है, तो यह भारतीय क्षेत्रों में विकसित होने वाली पहली ट्रांसजेनिक खाद्य फसल होगी।
दवा प्रतिरोधी सुपरबग
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों द्वारा चेतावनी दी गई है कि एक सुपरबग जो सभी ज्ञात एंटीबायोटिक दवाओं का प्रतिरोधी है तथा गंभीर संक्रमण यहाँ तक कि मौत का भी कारण बन सकता है, दुनिया भर के अस्पतालों के वार्डों में अज्ञात रूप से फ़ैल रहा है।
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने 10 देशों से प्राप्त नमूनों का अध्ययन किया तथा मल्टीड्रग-प्रतिरोधी बग के तीन प्रकारों की खोज की, जिन्हें वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध किसी भी दवा द्वारा विश्वसनीय रूप से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
बैक्टीरिया, जिसे स्टाफिलोकोकस एपिडर्मिडिस (Staphylococcus epidermidis) के नाम से जाना जाता है, पहले से ज्ञात और अधिक घातक सुपरबग MRSA से संबंधित है।
यह स्वाभाविक रूप से मानव त्वचा पर पाया जाता है और आमतौर पर बुजुर्गों या मरीजों क��� संक्रमित करता है।
यह अध्ययन नेचर माइक्रोबायोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
MRSA
मेथिसिलिन- रेसिस्टेंट स्टाफिलोकोकस ऑरियस (Methicillin-resistant Staphylococcus Aureus- MRSA) एक जीवाणु है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण का कारण बनता है।
इंडियन रुफ्ड टर्टल
कुछ माह पूर्व पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ज़िले में एक मंदिर के तालाब में श्रद्धालुओं द्वारा फेंके गए तेल, अगरबत्ती, फूल और अन्य वस्तुओं के कारण उस तालाब का प्रदूषित होने से इसमें रहने वाले इंडियन रुफ्ड टर्टल Indian Roofed Turtle (Pangshura tecta) की एक छोटी आबादी का जीवन संकट में पड़ गया था।
एक अभिनव विचार ने तालाब में प्रदूषण को कम करने में मदद की है। इस विचार के तहत भगवन विष्णु की कुर्म (कछुआ) अवतार की मूर्ति को तालाब के समीप स्थापित किया गया है।
इंडियन रुफ्ड टर्टल
इंडियन रुफ्ड टर्टल (Pangshura tecta) जियोमेडिडे (Geoemydidae) कुल के कछुए की एक प्रजाति है।
इसे खोल के शीर्ष भाग में स्थित अलग “छत” द्वारा वर्गीकृत किया जा सकता है। यह दक्षिण एशिया की प्रमुख नदियों में पाया जाता है।
यह भारतीय उपमहाद्वीप में एक आम पालतू जानवर है।
वर्ष 2000 में इसे IUCN की रेड लिस्ट में कम चिंतनीय (least concern) श्रेणी के अंतर्गत रखा गया।
भारतीय प्रतिप्रतिस्पर्द्धा आयोग
हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) ने राष्ट्रीय राजधानी में सुपर स्पेशियल्टी अस्पतालों द्वारा चिकित्सा उत्पादों एवं सेवाओं की अनुचित कीमत वसूलने की आशंकाओं की जाँच कराने का फैसला किया है।
CCI ने प्रतिप्रतिस्पर्द्धा कानून 2002 की धारा 3 और 4 के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के मामले में आयोग के महानिदेशक द्वारा की गई जाँच के बाद सौंपी रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में प्राइवेट सुपर स्पेशियल्टी अस्पतालों द्वारा अनुचित मूल्य वसूलने का मामला सामने आया था।
भारतीय प्रतिप्रतिस्पर्द्धा आयोग के बारे में
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) का गठन केंद्र सरकार द्वारा 14 अक्तूबर, 2003 को किया गया था।
CCI में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष तथा 6 सदस्य शामिल होते हैं।
CCI के कर्त्तव्य
प्रतिस्पर्द्धा पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव वाले व्यवहारों को समाप्त करना।
प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना तथा उसे सतत्रूप से बनाए रखना।
उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
भारतीय बाज़ारों में व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
आयोग से विधि के अंतर्गत स्थापित किसी भी सांविधिक प्राधिकरण से प्राप्त होने वाले प्रतिप्रतिस्पर्द्धा संबंधी मुद्दों पर अपनी राय देना तथा प्रतिस्पर्द्धा के संबंध में परामर्श आरंभ करना, प्रतिस्पर्द्धा के मुद्दों पर जन-जागरूकता पैदा करना और प्रशिक्षण देना भी अपेक्षित है।
पिच टू मूव
हाल ही में ‘पिच टू मूव’ प्रतियोगिता के अंतिम दौर का आयोजन नई दिल्ली स्थित विज्ञान विज्ञान भवन में किया गया।
पिच टू मूव प्रतियोगिता का आयोजन वैश्विक गतिशीलता सम्मेलन के हिस्से के रूप में नीति आयोग और भारतीय आटोमोबाइल निर्माता संघ (Society of Indian Automobile Manufacturers- SIAM) की ओर से संयुक्त रूप से किया गया।
प्रतियोगिता के अंतिम दौर में मोबिलिटी से संबंधित 32 स्टार्ट-अप ने उद्योग विशेषज्ञों और उपक्रम निवेशकों के निर्णायक मंडल के समक्ष अपने-अपने विचार रखे।
विचार और विकास के स्तर पर स्टार्ट-अप समूह से दो विजेताओं का चयन किया गया।
विकास स्तर के स्टार्ट-अप वर्ग से ‘मोबिसी’ नामक डॉकलेस बाइक शेयरिंग ऐप को विजेता चुना गया जबकि विचार स्तर पर एनड्रॉयड आधारित टिकट संबंधी सुविधा ‘जर्नी’ को विजेता चुना गया।
प्रतियोगिता में देशभर के उन सभी नवोदित स्टार्ट-अप्स प्रतिभागियों ने भाग लिया जो कारोबार से जुड़े नए विचारों को निर्णायक मंडल के समक्ष पेश करने के इच्छुक थे।
डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह
डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह को एक बार फिर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के क्षेत्रीय निदेशक के रूप में निर्वाचित किया गया है। इसके साथ ही भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में WHO के सर्वोच्च पद को बरकरार रखा है। उल्लेखनीय है कि डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह का आगामी कार्यकाल फरवरी 2019 से प्रारंभ होगा।
यह निर्वाचन WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय समिति की बैठक में हुआ।
डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह 1 फरवरी, 2014 को दक्षिण-पूर्व एशिया के WHO के क्षेत्रीय निदेशक का पद ग्रहण करने वाली प्रथम महिला बनीं।
उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य के रूप में भारत में दो दशकों तक सेवा की।
1987 में वह विश्व बैंक के स्वास्थ्य, जनसंख्या और पोषण विभाग के लिये चुनी गईं।
डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने 2000 से 2013 तक दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिये WHO के उप क्षेत्रीय निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व के देशों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है।
इस संस्था की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 में की गई थी।
यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक आनुषंगिक इकाई है तथा इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का दक्षिण पूर्व-एशिया क्षेत्र
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की स्थापना 1948 में की गई थी। यह WHO के छह क्षेत्रीय संगठनों में पहला था।
WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 11 सदस्य देश-भारत, बांग्लादेश, भूटान, कोरिया लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, मालदीव, म्याँमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड और तिमोर लेस्ते शामिल हैं।
इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
एशियाई खेल और भारत
चर्चा में क्यों?
18वें एशियाई खेलों (एशियन खेलों) का आयोजन इंडोनेशिया की राजधानी ��कार्ता में 18 अगस्त से 2 सितंबर तक किया गया। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एशियाई खेलों में भारत का अब तक का यह सर्वश्रेठ प्रदर्शन माना जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
इससे पहले वर्ष 1962 में जकार्ता में इन खेलों का आयोजन किया गया था। एशियाई खेल- 2018 का आयोजन इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग में किया जा रहा है, गौरतलब है कि यह पहली बार है जब एशियाई खेलों का आयोजन दो शहरों में किया जा रहा है।
एशियाई खेल- 2018 के उद्घाटन समारोह में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारतीय दल की अगुवाई की, जबकि समापन समारोह में भारत की ध्वजवाहक भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल थी।
एशियाई खेलों को एशियाड नाम से भी जाना जाता है। इसका आयोजन प्रत्येक चार वर्ष में किया जाता है।
18वें एशियाई खेलों के तीन शुभंकर भिन-भिन (स्वर्ग की चिड़िया), अतुंग (एक हिरण) और काका (एक गैंडा) है।
इन तीन शुभंकरों ने एक शुभंकर द्रावा का स्थान लिया है। ये तीनों शुभंकर देश के पूर्वी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उल्लेखनीय है कि 19वें एशियाई खेलों का आयोजन वर्ष 2022 में चीन के हांगझोऊ (झेजियांग) शहर में होगा।
एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ
भारतीय खिलाड़ियों ने 18वें एशियाई खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य पदकों सहित कुल 69 पदक देश के नाम किये और इस तरह भारत पदक तालिका में आठवें स्थान पर रहा।
उल्लेखनीय है कि इस प्रदर्शन के साथ ही भारत ने 2010 में सबसे ज्यादा पदक हासिल करने के 2010 के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
हरियाणा के झज्जर ज़िले के 24 वर्षीय भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने 18वें एशियाई खेलों के पहले ही दिन देश के लिये पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
ब्रिज शतरंज इनडोर खेल में 60 वर्षीय प्रणब बर्धन एवं 56 वर्षीय शिवनाथ सरकार ने स्वर्ण पदक हासिल किया और इस प्रकार 18वें एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले वे सबसे उम्रदराज व्यक्ति बन गए।
इसके अलावा 16 वर्षीय सौरभ चौधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में भारत के लिये स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। साथ ही वह एशियाई खेलों में सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी बने।
राही सरनोबत ने 25 मीटर पिस्टल इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया और इसी के साथ एशियाई खेल में निशानेबाजी में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई।
भारत की स्वप्ना बर्मन ने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीता, इस स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली वह भारतीय हैं।
इसके साथ ही विनेश फोगाट ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा।
इसके अलावा, प्रमुख रूप से स्वर्ण पदक हासिल करने वालों में पंजाब के एथलीट अपरिंदर सिंह (ट्रिपल जंप), तेजिंदरपाल सिंह तूर (पुरुषों की शॉटपुट स्पर्द्धा), मनजीत सिंह (800 मीटर रेस), रोहन बोपन्ना और दिविज शरन (टेनिस में पुरुष युगल प्रतिस्पर्द्धा), धावक जिनसन जॉनसन (पुरुषों की 1500 मीटर स्पर्द्धा ) शामिल हैं।
साथ ही भारतीय धाविका हिमा दास ने महिला 400 मीटर में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ रजत पदक जीता। उल्लेखनीय है कि उन्होंने इस जीत के साथ अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है।
एशियाई खेलों में पारंपरिक मार्शल आर्ट कुराश में भारत की पिंकी बल्हारा ने महिलाओं के 52 किग्रा. वर्ग में रजत पदक जीता।
बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु ने रजत पदक हासिल किया वे एशियाई खेलों में बैडमिंटन में रजत पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय बनी।
महिला 200 मीटर दौड़ में एथलेटिक्स दुती चंद ने रजत पदक जीता।
उल्लेखनीय है कि फ़वाद मिर्जा एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता में 1982 के बाद व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
एशियाई खेलों में 15 साल के शूटर शार्दुल विहान ने डबल ट्रैप स्पर्द्धा में रजत पदक हासिल किया।
एशियाई खेलों में भारतीय महिला कबड्डी टीम ने रजत, जबकि पुरुष कबड्डी टीम ने कांस्य पदक हासिल किया।
साथ ही महिला हॉकी टीम ने रजत पदक जबकि पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता।
पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री का महत्त्व
संदर्भ
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री (Public Credit Registry- PCR) स्थापित करने का मुद्दा उठाया था जिसमें अद्��ितीय पहचानकर्त्ता के रूप में व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिये आधार और फर्मों हेतु कॉर्पोरेट पहचान संख्या शामिल थी। साथ ही यह सुझाव भी दिया गया था कि इस रजिस्ट्री में ऋण से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियों का संग्रह किया जाए ताकि आवश्यकता पड़ने पर उधारकर्त्ता से संबंधित डेटा को बैंकों जैसे हितधारकों को उपलब्ध कराया जा सके।
पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री क्या है?
पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री एक सूचना भंडार है जो व्यक्तियों और कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के सभी प्रकार के ऋणों से संबंधित जानकारियों के संग्रहण का कार्य करती है।
क्रेडिट का संग्रहण बैंकों को खराब और अच्छे उधारकर्ता के बीच अंतर स्थापित करने में मदद करता है जिसके अनुसार बैंक अच्छे उधारकर्ताओं को आकर्षक ब्याज दरें प्रदान करता है और खराब उधारकर्ताओं के लिये उच्च ब्याज दरें निर्धारित करता है।
PCR के लाभ
PCR के माध्यम से सूचना विषमता जैसी समस्याओं को हल किया जा सकेगा, ऋण उपलब्धता की स्थिति में सुधार होगा और उपभोक्ताओं के बीच क्रेडिट संस्कृति मजबूत होगी।
इससे बैंकों में चल रही बैड लोन की समस्या को हल करने में भी सहायता मिल सकती है, क्योंकि कॉर्पोरेट देनदार मौजूदा ऋण का खुलासा किये बिना बैंकों से उधार लेने में सक्षम नहीं होंगे।
PCR, वैश्विक व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंक सुधारने में भी मदद कर सकता है।
PCR की स्थापना से विश्व बैंक के ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी।
PCR ज़रूरी क्यों है?
वर्तमान में ऋण से संबंधित जानकारी बिट्स और टुकडों में तथा कई माध्यमों के ज़रिये उपलब्ध हो पाती है, न कि केवल एक ही प्रणाली में इसलिये ऋण से संबंधित सभी जानकारियों को एक ही स्थान पर उपलब्ध कराए जाने के लिये PCR आवश्यक है।
बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, कॉर्पोरेट बॉण्ड या बाज़ार से डिबेंचरों, विदेशी वाणिज्यिक उधार, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉण्ड, मसाला बॉण्ड और अंतर-कॉर्पोरेट उधार से संबंधित जानकारी किसी संग्रहण में उपलब्ध नहीं है। PCR स्थापित किये जाने से ये सभी जानकारियाँ उपलब्ध हो सकेंगी।
PCR के माध्यम से एक उधारकर्त्ता के बारे में सभी प्रासंगिक जा��कारियों को एक ही स्थान पर संग्रहीत किया जा सकेगा।
यह अन्य ऋणों के संबंध में उधारकर्त्ता के प्रदर्शन को ट्रैक करके उसकी संपत्ति की गुणवत्ता के बारे में प्रारंभिक चेतावनियाँ जारी कर सकता है।
अन्य देशों में PCR की स्थिति
वर्तमान समय में अन्य देशों के PCR में लेन-देन से संबंधित अन्य आँकड़ों को भी शामिल किया गया है, जैसे कि खुदरा उपभोक्ताओं के लिये बिजली और दूरसंचार के भुगतान से संबंधित आँकड़े और व्यवसायियों के व्यापार ऋण से संबंधित आँकड़े।
यह व्यापार लेन-देन में ग्राहकों की क्रेडिट गुणवत्ता का संकेत प्रदान करती है।
निष्कर्ष
ऋण विवरण और पूर्व में किये गए भुगतान की जानकारी उपलब्ध होने से उधार देने की प्रक्रिया में नवीनता आएगी। ��दाहरण के लिये, वर्तमान में अधिकांश बैंक ऋण देने हेतु बड़ी कंपनियों की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसके परिणामस्वरूप सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के पास उधार लेने के लिये सीमित विकल्प ही उपलब्ध हो पाते हैं।
PCR, पूर्व में किये गए संतोषजनक भुगतान और ऋण से संबंधित विधिमान्य विवरण उपलब्ध कराने के साथ ही सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिये ऋण की उपलब्धता में वृद्धि करेगा। यह वित्तीय समावेशन की नीति का भी समर्थन करेगा।
स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन) एवं द हिंदू, PIB, jagaran, ET, TOI, BS.
कृष्ण कुटीर
कृष्ण कुटीर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा मंत्रालय की स्वाधार गृह योजना के तहत 1000 विधवाओं के लिये निर्मित एक विशेष गृह है और किसी सरकारी संगठन द्वारा सृजित अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा सुविधा केंद्र है।
विधवाओं हेतु गृह ‘कृष्ण कुटीर’ का निर्माण उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा के वृंदावन में राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (NBCC) द्वारा 57.48 करोड़ रुपए (भूमि की लागत सहित) की लागत से 1.4 हेक्टेयर भूमि पर किया गया है।
इसके निर्माण हेतु वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया गया है और इसका प्रबंधन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाएगा।
चौथा अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद कॉन्ग्रेस
आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीपद येस्सो नाइक नीदरलैंड में चौथे अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद कॉन्ग्रेस का उद्घाटन करेंगे।
1-4 सितंबर, 2018 तक चलने वाली इस कॉन्ग्रेस का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय महर्षि आयुर्वेद फाउंडेशन, नीदरलैंड; अखिल भारतीय आयुर्वेदिक कॉन्ग्रेस, नई दिल्ली एवं अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद अकादमी, पुणे द्वारा नीदरलैंड में भारतीय दूतावास के सहयोग से संयुक्त रूप से किया जा रहा है
यह कॉन्ग्रेस नीदरलैंड एवं यूरोप को उसके पड़ोसी देशों में आयुर्वेद के संवर्द्धन एवं प्रचार पर फोकस करेगी।
भारतीय दूतावास द्वारा ‘आयुर्वेद सहित स्वास्थ्य देखभाल में भारत-नीदरलैंड सहयोग’ विषय पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन 3 सितंबर, 2018 को किया जाएगा।
इस संगोष्ठी को आयुष मंत्री और नीदरलैंड के मेडिकल केयर एवं स्पोर्ट मंत्री ब्रुनो ब्रुनीस द्वारा संयुक्त रूप से संबोधित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने किया पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री श्री के.पी. ओली के साथ काठमांडू में संयुक्त रूप से पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन किया।
यह धर्मशाला भारत-नेपाल मैत्री की प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ एवं जानकी धाम के मंदिरों का उल्लेख किया।
उल्लेखनीय है कि ये तीनों मंदिर नेपाल में अवस्थित हैं।
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली नेपाल यात्र�� के दौरान इस धर्मशाला के निर्माण का ऐलान किया था।
वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने वित्त वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही के लिये जीडीपी के अनुमान जारी किये।
जीडीपी वृद्धि दर वर्ष 2018-19 की प्रथम तिमाही में 8.2 प्रतिशत रही जो वित्त वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में दर्ज की गई 7.7 प्रतिशत के मुकाबले और ज्यादा बेहतरी को दर्शाती है।
इस विकास का आधार काफी व्यापक है और यह उपभोग व्यय में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि तथा नियत (फिक्स्ड) निवेश में 10.0 प्रतिशत की बढ़ोतरी की बदौलत संभव हो पाया है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO)
विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के सांख्यिकीय गतिविधियों के मध्य समन्वयन एवं सांख्यिकीय मानकों के संवर्द्धन हेतु मई 1951 में ‘केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय’ (CSO) की स्थापना की गई थी।
यह राष्ट्रीय खातों को तैयार करने, औद्योगिक आँकडों को संकलित एवं प्रकाशित करने के साथ-साथ ही आर्थिक जनगणना एवं सर्वेक्षण कार्य भी आयोजित करता है।
यह देश में सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की सांख्यिकीय निगरानी के लिये भी उत्तरदायी है।
प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC)
हाल ही में केंद्र सरकार ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से संबंधित नीतिगत मामलों पर सलाह देने के लिये एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
PM-STIAC (Prime Minister’s Science, Technology and Innovation Advisory Council) के रूप में नामित 21 सदस्यीय समिति, जिसमें एक दर्जन सदस्य विशेष रूप से आमंत्रित हैं, की अध्यक्षता मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के. विजय राघवन करेंगे।
इस परिषद के 9 प्रमुख सदस्य – वी.के. सारस्वत (DRDO के पूर्व प्रमुख, तथा नीति आयोग के सदस्य), ए.एस. किरण कुमार (ISRO के पूर्व अध्यक्ष), बाबा कल्याणी (भारत फोर्ज के MD), प्रो. संघमित्र बंदोपाध्याय (भारतीय सांख्यिकी संस्थान के निदेशक), मंजुल भार्गव (प्रिंसटन यूनिवर्सिटी अमेरिका के प्रोफेसर तथा गणित के फील्ड मेडल विजेता), प्रो. अजय कुमार सूद (भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू के प्रोफ़ेसर), मेजर जनरल माधुरी कानितकर (आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज की डीन), सुभाष काक (ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी, अमेरिका के प्रोफेसर) शामिल हैं।
आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित सभी मंत्रालयों के सचिव विशेष आमंत्रितों के रूप में शामिल होंगे। इनमें परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण एवं वन, कृषि, स��वास्थ्य और उच्च शिक्षा शामिल हैं।
यह समिति नीतियों और निर्णयों के निर्माण और कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगी, कार्रवाई-उन्मुख और आने वाले समय के अनुकूल सलाह प्रदान करेगी तथा देश में सामाजिक आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिये विज्ञान और तकनीकी को निर्देशित करने में सहायता करेगी।
यह शिक्षा, अनुसंधान, उद्योग इत्यादि में नवाचार लाने पर भी ध्यान केंद्���ित करेगी।
PM-STIAC प्रभावी रूप से SAC-कैबिनेट और SAC-PM (2014 से चल रही वैज्ञानिक सलाहकार समितियाँ) को भंग कर देगा।
मोवेलो साइक्लोथोन
नीति आयोग ने शहरों को साइकिल के अनुकूल बनाने के लिये एक अनोखा कदम उठाते हुए मोवेलो साइक्लोथोन (Movelo Cyclothon), स्वच्छता तथा परिवहन के सुलभ तरीके को बढ़ावा देने के लिए एक साइकिल रैली, की शुरुआत की।
इस साइकिल रैली की शुरुआत वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन को ध्यान में रखते हुए आयोजित किये जाने वाले गतिशीलता सप्ताह के अंतर्गत किया गया।
‘गतिशीलता सप्ताह’ के बारे में:
‘गतिशीलता सप्ताह’ में 31 अगस्त, 2018 से 6 सितंबर, 2018 तक 7 दिनों के अंदर 17 कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है।
ये कार्यक्रम गतिशीलता के क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाएंगे।
वैश्विक गतिशीलता शिखर सम्मेलन के बारे में:
इसका आयोजन नीति आयोग द्वारा विभिन्न मंत्रालयों व उद्योग जगत के सहयोग से किया जाएगा।
इसमें विश्वभर के राजनेता तथा उद्योगपति, शोध संस्थान, शिक्षा जगत और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
इस सम्मेलन से सरकार के लक्ष्यों यथा बिजली से चलने वाले वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण तथा रोज़गार के अवसरों के सृजन आदि को प्रोत्साहन मिलेगा।
सम्मेलन के मुख्य विषय
♦ सार्वजनिक पारगमन सुविधा पर विचार करना। ♦ आँकड़ों का विश्लेषण और मोबिलिटी। ♦ परिसंपत्ति ऊपयोगिता एवं सेवाएँ। ♦ वैकल्पिक ऊर्जा। ♦ व्यापक विद्युतीकरण। ♦ माल परिवहन।
नेता एप
हाल ही में नेशनल इलेक्टोरल ट्रांसफॉर्मेशन एप (National Electoral Transformation App- NETA) लॉन्च किया गया। उल्लेखनीय है कि इस एप को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा लॉन्च किया गया।
यह एप एक ऐसा मंच है जहाँ मतदाता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा और उनका मूल्यांकन कर सकते हैं और साथ ही प्रतिनिधियों को उनके कर्त्तव्यों के लिये ज़िम्मेदार भी ठहरा सकते हैं।
यह एप युवा आईटी विशेषज्ञ प्रथम मित्तल द्वारा वि��सित किया गया है।
अमेरिका की समर्थन प्रणाली से प्रेरित यह एप उपयोगकर्त्ताओं को अपने विधायकों और सांसदों का मूल्यांकन करने की अनुमति देता है।
राजस्थान के अजमेर और अलवर निर्वाचन क्षेत्रों में फरवरी, 2018 के उपचुनाव के दौरान इस एप को प्रस्तुत किया गया था तथा बाद में इसका उपयोग मई 2018 में विधानसभा चुनावों से पहले कर्नाटक में किया गया था।
मिल बाँचें कार्यक्रम
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मिल-बाँचें कार्यक्रम की शुरुआत की।
राज्य के सरकारी स्कूलों और समाज के बीच शुरू किया जाने वाला यह कार्यक्रम अपनी तरह का पहला संवादात्मक कार्यक्रम है।
80,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूलों को उपहार देने की इच्छा व्यक्त की है। इन उपहारों में किताबों के अलावा अन्य वस्तुएँ शामिल हैं जो छात्रों के लिये उपयोगी हो सकती हैं।
राज्य में इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बच्चों का बहु-आयामी विकास करना है।
‘मिल-बाँचें मध्य प्रदेश’ कार्यक्रम के लिये पंजीकृत 2 लाख से अधिक स्वयंसेवकों में 820 इंजीनियर, 843 डॉक्टर, 36 हज़ार निजी क्षेत्र के कर्मचारी, 19 हज़ार सार्वजनिक प्रतिनिधि और लगभग 45 हज़ार सरकारी कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।
ब्रिक्स सम्मलेन-2018
हाल ही में ब्रिक्स यानि ब्राजील, रशिया, इंडिया, चाइना और साउथ अफ्रीका देशों का सम्मेलन जोहान्सबर्ग में सम्पन्न हुआ है। इस सम्मलेन के परिणामस्वरूप इन देशों ने एक लंबा-चैड़ा घोषणापत्र जारी किया है।
अपने गठन के पहले दशक में ही ब्रिक्स ने विश्व पर अपना काफी प्रभाव जमा लिया है। इस सम्मेलन के लंबे घोषणापत्र का होना इस बात की ओर इंगित करता है कि इन देशों के बीच आपस में सहयोग और संगठन की भावना बल पकड़ती जा रही है।
सम्मेलन की मुख्य बातें :
सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विश्व-व्यापार को लेकर उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की गई। सदस्यों का मत था कि वर्तमान में चल रहे व्यापार-युद्ध की जगह, विश्व व्यापार संगठन के नियमों पर आधारित, मुक्त और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था ही चलाई जानी चाहिए।
सम्मेलन के देशों ने आने वाली चतुर्थ औद्योगिक क्रांति के लिए तैयारी पर भी चर्चा की। इससे संबंधित रोजगार, शिक्षा और कौशल विकास को मुद्दा बनाया गया। ब्रिक्स पार्टनरशिप ऑन न्यू इंडस्ट्रीयल रिवोल्यूशन नामक एक समझौता भी किया गया। यह तभी सार्थक होगा, जब ये देश विकसित होती तकनीक में निजी क्षेत्र और ��ुवा नवोन्मेषकों को भागीदार बनायें।
ब्रिक्स व्यापार परिषद् पहले ही निर्माण, ऊर्जा, वित्तीय सेवाओं और क्षेत्रीय विमानन के क्षेत्र में व्यापार को बढ़ाने और आर्थिक सहयोग की दिशा में काम कर रहा है। इसकी मजबूती को बनाए रखने की दिशा में सहमति दिखाई गई।
सदस्यों ने विकास को ‘जन-आधारित’ रखने पर एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। फिल्म, खेल, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन के जरिए देशों में आपसी तालमेल बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
गत वर्ष के सम्मेलन में चीन ने ‘ब्रिक्स प्लस’ का विचार प्रस्तुत करते हुए कुछ अन्य देशों को भी इसमें शामिल करने की वकालत की थी। दक्षिण अफ्रीका ने इस पथ का अनुकरण करते हुए पाँच अन्य देशों को आमंत्रित किया था। इसका सबसे बड़ा लाभ यह रहा कि इन देशों के नेताओं के बीच आपसी विचार-विमर्श हो सका।
भारत और चीन के नेताओं के बीच भी परस्पर बातचीत हो सकी। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पिछले चार महीनों में होने वाली यह तीसरी मुलाकात थी।
विश्व की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या और 22 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिक्स देशों के दसवें सम्मेलन पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई थीं। लेकिन कई मोर्चों पर यह विफल भी रहा।
वैश्विक वित्त का प्रशासन, संयुक्त राष्ट्र का लोकतंत्रीकरण तथा सुरक्षा-परिषद् का विस्तार आदि मूलभूत मामलों पर कोई काम नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण चीन का प्रभुत्व और रशिया से उसकी बढ़ती निकटता रही। ये दोनों ही देश भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील को सुरक्षा परिषद् की सदस्यता देने के विरोधी हैं।
जहाँ तक भारत की भूमिका का सवाल है, वह उल्लेखनीय रही। दक्षिण अफ्रीका के एक प्रवक्ता ने तो अमेरिका, चीन और रशिया के बीच चलती उठा-पटक में भारत की नाजुक भू-राजनीतिक स्थिति की चर्चा भी की। सम्मेलन के घोषणा-पत्र में विश्वव्यापी आतंकवाद की समस्या पर चार अनुच्छेदों का लिखा जाना; भारत के लिए एक उपलब्धि रही।
सोचने की बात यह है कि क्या ब्रिक्स में किए गए प्रयासों का कुछ भी सकारात्मक प्रभाव विकसित देशों के समूह जी-7 पर पड़ेगा?
स्रोत : पी.आई.बी, इंडियन एक्सप्रेस एवं ऑल इंडिया रेडियो,द हिंदू .
01- 06 September 2018 | सितम्बर साप्ताहिक करेंट अफेयर्स हिंदी में | RAS PCS – 2018 September Weekly Current Affairs in Hindi for IAS RAS PRE+ MAINS- 2018-19 BY WISDOM IAS जन-धन योजना ओपन-एंडेड योजना घोषित
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केंद्र ने राज्यों से त्योहारी सीजन से पहले खाद्य तेलों के लिए स्टॉक सीमा जारी करने को कहा
केंद्र ने राज्यों से त्योहारी सीजन से पहले खाद्य तेलों के लिए स्टॉक सीमा जारी करने को कहा
केंद्र ने सोमवार को राज्यों से आगामी त्योहारी सीजन से पहले खाद्य तेलों के लिए स्टॉक सीमा अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया तेज करने को कहा। स��युक्त सचिव पार्थ एस दास की अध्यक्षता में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) द्वारा बुलाई गई सोमवार की बैठक में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया गया था कि प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा खाद्य तेल की स्टॉक सीमा को उनके आधार पर…
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केंद्र ने कीमतें कम करने के लिए खाद्य तेलों, तिलहनों पर मार्च तक स्टॉक की सीमा लगाई
केंद्र ने कीमतें कम करने के लिए खाद्य तेलों, तिलहनों पर मार्च तक स्टॉक की सीमा लगाई
खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि के सा��, केंद्र ने अगले साल मार्च के अंत तक खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक की सीमा लगा दी है। रविवार को एक बयान में, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा: “विभाग … ने एक ऐतिहासिक निर्णय में खाद्य तेलों और तिलहनों पर 31 मार्च, 2022 तक की अवधि के लिए स्टॉक सीमा लगाई है।” केंद्र के फैसले से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज&039;#उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय#खाद्य तेल की कीमत#खाद्य तेल पर स्टॉक सीमा#खाद्य तेल स्टॉक सीमा#बीज के तेल की कीमत#भारत की प्रमुख खबरें#भारत खाद्य तेल#भारत खाद्य तेल की कीमतें#भारत ताजा खबर#भारत समाचार#भारत समाचार आज
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आरबीआई ने नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, वित्त वर्ष 2021-22 में 10.5% वृद्धि का अनुमान Divya Sandesh
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आरबीआई ने नीतिगत दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा, वित्त वर्ष 2021-22 में 10.5% वृद्धि का अनुमान
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) कोविड-19 संक्रमण के ताजा मामलों और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख उधारी दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, लेकिन साथ ही अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए जरूरत पड़ने पर आगे कटौती की बात कहकर उदार रुख को बरकरार रखा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी की सहमति से यह भी निर्णय लिया कि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी हो, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के प्रयास जारी रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के भीतर बनी रहे। इसी तरह सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। रिवर्स रेपो दर भी 3.35 प्रतिशत बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष में यह पहली द्विमासिक नीति समीक्षा बैठक है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए 10.5 प्रतिशत की वृद्धि लक्ष्य को बरकरार रखा है। दास ने कहा कि हाल में कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है। साथ ही उन्होंने वायरस के प्रकोप को रोकने और आर्थिक सुधारों पर घ्यान दिए जाने की आवश्यकाता पर बल दिया। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आसानी से मिले। उन्होंने उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत पर रहेगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। दास ने कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी। दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है। हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है। इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, त���सरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
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वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में खुदरा मु्द्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान: आरबीआई Divya Sandesh
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वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में खुदरा मु्द्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान: आरबीआई
मुंबई, सात अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत पर रहेगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली नीतिगत समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच प्रतिशत के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा (4+2%) को तोड़ने की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी। आरबीआई ने वृद्धि का समर्थन करने के लिए प्रमुख रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दास ने कहा कि केंद्र और राज्यों द्वारा समन्वित प्रयासों से पेट्रोलियम उत्पादों पर घरेलू करों से कुछ राहत मिली है। हालांकि, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और लॉजिस्टिक लागतों के चलते विनिर्माण और सेवाएं महंगी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच प्रतिशत किया गया है। इसी तरह मुद्रास्फीति के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 5.1 प्रतिशत हैं। इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
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